Wednesday 10 July 2019

Burrial of Postmaster Cadre by Department: Retreat of DOP from professionalism and action against the public interest.




Dear Friends

As we all know that since past few months Department is trying it's level best to merge our cadre with general line........ It's once again proved that our Department has totally failed in maintaining the Cadre which was created to improve the functioning/productivity of Post Offices. It's very unfortunate that we have chosen this Cadre by believing in the Department's mesmerized words which were written in the P M Cadre introductory letter. It is not clear why the Department has taken a step for merger without thinking about the young Postmasters' future. None of the letters / observation of Department shown about the obstacles in maintaining the Cadre. We proudly say that all our Cadre friends have maintained their offices very well and brought good name and fame for the Department by giving good service to the members of public and improved the productivity. Let us not be frustrated, we are committed to achieve the demands through dedicated Association and be confident and hopeful in achieving our goal which may be tough but not impossible. We are confident that our friends are mentally strong enough and face the situation accordingly and co-operate with adequate financial support to save our cadre.

TeamAIAPC

6 comments:

  1. यह एक ऐसा निर्णय है जिसने पोस्टमास्टर कैडर 0pt किया उसने बहुत बड़ी गलती की यदि नहीं किया होता तो दो साल पहले एच एस जी -1मे रहते हुये NFG मे प्रमोशन लेकर 4800/- वाला ग्रेड पे ले लिया होता । हम लोग जिन्होने 2004 व 2005 मे FTP exam पास की तथा 2008 से रेगुलर एच एस जी -1 मे प्रमोशन पाकर पोस्टमास्टर कैडर इसलिये opt किया था कि इधर से सीनियर पोस्टमास्टर में प्रमोशन पा लेंगे ( ranked 15 & 10th in all india seniority list of postmaster Grade-III year 2013 and 2016 respectively ) परन्तु कुछ नहीं हुआ और अब जो हुआ वह आप सबके सामने है । दर असल विभाग की किसी भी स्कीम से जनरल लाइन वालों को कोई फायदा नहीं हुआ। मैने 2004 में Fast track promotion exam (HSG-II) पास की व may 2005 मे रिजल्ट आने के पश्चात HSG-II में ज्वाइन किया परन्तु मुझे कोई फायदा नहीं हुआ मेरे साथ के भर्ती डाक सहायक भी वही वेतन ले रहे थे जो मै ले रहा था । exam पास करने का कोई लाभ नहीं । उधर दूसरी ओर पोस्टमास्टर ग्रेड -I exam व IPO exam पास करने पर TBOP/BCR जिन्हे 2800/-व 4200/- ग्रेड पे मिलता था उनको एक इन्क्रीमेंट दे दिया गया परन्तु FTP exam passed candidates को इसका कोई फायदा नहीं दिया गया जिससे उनका वेतन उतना ही रहा जितना उनके साथ भर्ती हुये अन्य साथियों का रहा । इनके साथ यह सौतेला ब्यवहार कदापि भी उचित नहीं है और नहीं इस मामले को ग्रुप सी यूनियन तथा अन्य यूनियन ने अपने प्लेटफार्म पर उठाया और विभाग इस प्रकार से जनरल लाइन वालों के हितों पर कुठाराघात करता रहा , यदि अभी भी आप लोग अपनी जायज मांगों को नहीं उठायेंगे तो इसी प्रकार आपके साथ अन्याय होता रहेगा यह निश्चित है ।

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  2. एक दूसरा वाकया इस ब्लाग के माध्यम से कहना चाहूंगा बड़े आश्चर्य की बात है कि पोस्टमास्टर कैडर को बने हुये आठ साल हो गये थे,रिक्रूटमेंट रूल्स में स्पष्ट प्राविधान होने के बावजूद भी 29 पोस्ट सीनियर पोस्टमास्टर के लिये सीनियरिटी कम फिटनेश से , पोस्टमास्टर ग्रेड III से भरे जाने थे उनके लिये इतने सालों में कोई डी पी सी नहीं हुई, और तो और एडहौक बेसिस पर भी उनको प्रमोशन नहीं दिया गया जबकि प्रत्येक सर्किल में पोस्ट वैकेंट रही और उनको पिछले कितने सालों से डाक निरीक्षक/ स. अधीक्षकों के द्वारा एडहौट प्रमोशन देकर भरा जाता रहा व पोस्टमास्टर ग्रेड III के कन्डिडेट्स को इग्नोर किया जाता रहा । क्या यह सरासर नियम की अनदेखी नहीं है , परन्तु इस मुद्दे पर यूनियन ने कोई प्रोटेस्ट नहीं किया और न ही किसी साथी ने । इससे स्पष्ट है कि विभाग की अन्दरखाने पोस्टमास्टर कैडर के गठन व रिक्रूटमेंट रूल्स बनने के तुरन्त बाद ही इसको खत्म करने का इरादा था इसीलिये तो इतने वर्षों में कुछ दिया नहीं , और अब वही दिल्ली से दौलताबाद व फिर दौलताबाद से दिल्ली वाली कहावत लागू कर दी।
    2- एक प्रश्न यह भी विचारणीय व प्रोटेस्ट करने लायक था परन्तु न जनरल लाइन वालों ने और नही पोस्टमास्टर कैडर वालों ने इस मुद्दे को मजबूत इरादे से उठाया कि पहले चयुर्थ वेतन आयोग में HSG-I का पे स्केल 2000-3200 था ए. एस पी. का 1640-2900था इस समय ASP का प्रमोशन HSGI मे होता था FR-22C का बेनिफिट मिलता था जो अब IPO के बराबर हो गया (इन्सपेक्टर पूर्व में LSG के बराबर था 1400-2300 के वेतनमान में)ASP की जो पहले promotional पोस्ट थी वह अब इन्सपेक्टर के बराबर हो गयी कितना अन्यायपूर्ण व आश्चर्यचकित करने वाला निर्णय है यह । यह सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया , पहले पंचम वेतन आयोग मे दोनो को (ADP & HSG-I) बराबर स्केल दिया गया, HSG-I की सभी पोस्ट जनरल लाइन को दी गयी और फिर छटवें वेतन आयोग में ग्रेड पे एक ही कर दिया परन्तु ASP को गजीटेड स्टेटस दे दिया और फिर सातवें वेतनमान में लेवल -8 जबकि HSG-I को लेवल -7 में ही रखा गया . ताज्जुब तो तब हूआ जब इन्सपेक्टर को छटवें वेतनमान में 01-01-1986 से 4600 वाला ग्रेड पे दे दिया जिसके फलस्वरूप उन्हें आठ से नौ लाख तक का एरियर मिला । यह पूरी कार्यवाही उसी अनुसार हुई जैसे पहले चतुर्थ वेतन आयोग में इन्सपेक्टर (1400 - 2300)का प्रमोशन HSG-II (1600-2660)में होता था जो पांचवे वेतन में उससे कम हो गया
    (HSG-II,5000-7000) (IPO,5500-9000) छटवें में HSG-II को 4200/- ग्रेड पे दिया परन्तु अब IPO को 4600/-01-01-2006 से मिल गया । न जाने इन्सपेक्टर लाइन का शेयर हटने से एक ही पोस्ट जिसका दायित्व वही रहता है वेतन या स्टेटस कैसे कम हो जाता है ?
    सिद्धानन्द कुकरेती

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